शहीद प्रताप सिंह गार्डसमैन (सैनिक न॰ 3964400) सुपुत्र स्व॰ श्री चन्दु राम पौत्र स्व॰ श्री दलीपा राम नम्बरदार (जपुजी साहिब की अड़तीस (38) पौड़ियों के ज्ञाता) का जन्म गाँव सनीहरा (श्री शिवशक्ति नगर) उप तहसील कलोल जिला बिलासपुर (हि॰प्र॰) के घर मैहर परिवार में 27.02.1946 को हुआ था। इनका बचपन का नाम बेगम सिंह (उर्फ बेगू) था। शहीद प्रताप सिंह बचपन से ही बहुत बहादुरी से कार्य करने के लिए जाने जाते थे। प्रथम सरकारी सेवा विकास खण्ड झंडूता से शुरू की परंतु देश के प्रति प्रेम व अपने बड़े भाई (हवलदार श्री चौकस राम जिन्होंने 1962, 1965 व 1971 के युद्ध लड़े) से प्रेरित होकर उन्होने इस नौकरी से त्याग पत्र देकर 27.02.1966 को भारतीय सेना में पहली “ऑल इंडिया” मिश्रित रचना वाली इन्फेंट्री ब्रिगेड ऑफ द गार्ड्स/गार्ड ब्रिगेड में भर्ती हो गए। शहीद प्रताप सिंह गार्ड्समैन ने 24.10.1971 (ओ पी ऑक्ट्स सीटी) को लगभग 25 वर्ष की अल्पायु में भारत पाक युद्ध 1971 में मुक्ति वाहिनी सेना में पाकिस्तान सेना के विरुद्ध की गई कार्यवाही के दौरान मातृ भूमि की रक्षा करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।

यह वो ऐतिहासिक युद्ध था जिसमें 93000 पाक सैनिकों को बन्दी बनाया गया। मरणोंपरान्त उन्हें वीरता पुरस्कार सामान्य सेवा पदक (क्लार्प नागा हिल 1947) से नवाजा गया। सामान्य सेवा पदक 1947 में भारत का एक सैन्य सेवा पदक था। इसकी स्थापना भारत के राष्ट्रपति द्वारा 5 जून 1950 को की गई थी। यह सम्मान जम्मू कश्मीर राज्य में 1947 के भारत पाक युद्ध के समय तथा मीज़ो पर्वतों में 1975 तक के समय के लिये दिया जाता था। आज देश के शहीदों के पार्थिव शरीर को घर में सम्मान के साथ पहुंचाया जाता है परंतु शहीद प्रताप सिंह गार्ड्समैन का शरीर तो क्या उनकी अस्थियाँ भी नहीं पहुँच पाई शहीदी प्रमाण पत्र भी 16.12.1999 को विजय दिवस के दिन थल सेना अध्यक्ष जनरल वेद मलिक दवारा 28 वर्षों के बाद प्राप्त हुआ।

राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय का नाम 07 अगस्त 2021 को शिक्षा सचिव हिमाचल प्रदेश सरकार के आदेशानुसार शहीद प्रताप सिंह राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय भेड़ी किया गया। काबिलेगौर है कि शहीद प्रताप सिंह के भतीजे महेन्द्र सिंह ने स्थानीय जनता के सहयोग से इस मुदे को लगभग बीस वर्षों तक उठाया व अगस्त 2020 को स्थानीय विधायक श्री जीत राम कटवाल के पास शहीद प्रताप सिंह की शहादत संबन्धित सभी कागजात सौंपे और विधायक महोदय ने इसे हिमाचल प्रदेश के तत्कालीन माननीय मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर के समक्ष रखा और हिमाचल प्रदेश सरकार ने 03 अगस्त 2021 को इसे स्वीकृति प्रदान की। विद्यालय का नामकरण शहीद के नाम स्वीकृति प्रदान करके पचास वर्षों के लम्बे अंतराल के बाद हिमाचल प्रदेश सरकार के द्वारा शहीद प्रताप सिंह को सच्ची श्रद्धांजलि दी गई।

हम अपना आज कुर्बान कर चले,
आपके आने वाले कल के लिए।
शहीद प्रताप सिंह अमर रहे अमर रहे।।